विश्पला: ऋग्वेद युग (लगभग 16-14 हजार साल पहले) की एक महिला योद्धा और इतिहास में दर्ज कृत्रिम अंग का सबसे पहला उदाहरण, लिखित मौजूद है।
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विश्पला ऋग्वेद (R.V. 1.112.10, 116.15, 117.11, 118.8 और R.V. 10.39) में वर्णित वैदिक काल की एक महिला योद्धा थीं।
विश्पला का विवाह “खेला” नामक एक वैदिक राजा से हुआ था। शतद्रु नदी के तट पर खेला का राज्य था। शादी के बाद राजा खेला को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। उनके राज्य को भयंकर सूखे का सामना करना पड़ा। राजा खेला भी एक पड़ोसी राजा से युद्ध हार गया। लोगों ने विश्पला को दोष देना शुरू कर दिया क्योंकि ये सब चीजें उसके खेला के जीवन में प्रवेश करने के बाद हुईं।
विश्पला बहुत परेशान हो गयी थी। ऋषि अगस्त्य से उसने सलाह ली और युद्ध शास्त्र के बारे में उनके गहन ज्ञान को जानकर विश्पला आश्चर्यचकित रह गयी थी। उसने गहन प्रशिक्षण प्राप्त किया था।
विश्पला ने अपने पति खेला की सेना का नेतृत्व करने का फैसला किया। उसने बहादुरी से लड़ाई लड़ी और युद्ध जीता लेकिन एक युद्ध में अपना पैर खो दिया था। वैद्य देव अश्विन बंधुओं ने उसे तांबे या लोहे का बना पैर दिया। यह विश्व इतिहास में प्रोथिसिस की अवधारणा का सबसे पहला संदर्भ है।
चरित्रं हि वेरिवाच्छेदि परणमाजा खेलस्य परितकमायाम् ।
सद्यो जङ्घामायसीं विश्पलायै धने हिते सर्तवे प्रत्यधत्तम् ॥ R.V. 1.116.15
