आयुर्वेद से नेह दूर करेगा मधुमेह

मधुमेह यानी डायबिटीज जिसे आमतौर पर शुगर की बीमारी कहा जाता है। यह एक चयापचय जन्य विकार है जिसमे या तो शरीर में इन्सुलिन नामक हार्मोन बनना बंद हो जाता है या कुछ अन्य कारणों से इसमे प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न हो जाने से यह अपना कार्य करना बंद कर देता है। मधुमेह शुद्ध रूप से गलत खानपान और अनियमित जीवनशैली से जन्मा रोग है जो दिनोंदिन अपना पैर तेजी से पसार रहा है। एक अनुमान के मुताबिक दुनिया भर में करीब 35 करोड़ लोग मधुमेह का शिकार हैं और इनमें से करीब 6.3 करोड़ अकेले भारत में हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ के अनुसार 2030 तक डायबिटीज लोगों की मौत का सातवां सबसे बड़ा कारण होगा।
विश्वभर में प्रत्येक 11 में से एक वयस्क मधुमेह से पीड़ित है।
हाल के वर्षो में भारत में मधुमेह रोगियों की संख्या में चिंताजनक वृद्धि हुई है। आंकड़ों की यह बढ़त आधुनिक जीवन शैली और आहार की अनियमितता की वजह से विकराल हो रही है। मधुमेह एक जानलेवा बीमारी है जिसकी वजह से दिल का दौरा पड़ना, स्ट्रोक, अंधापन और किडनी फेल होने के खतरे बने रहते हैं।

“मधुमेह-जितना जानेंगे उतना जियेंगे ” तथा “Diabetes-Who knows more lives more” पुस्तक के लेखक एवं चौकाघाट स्थित राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय , वाराणसी के कायचिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग के वैद्य डॉ अजय कुमार, वाराणसी के एक जाने माने मधुमेह विशेषज्ञ है। मधुमेह के सफल नियंत्रण के लिए आयुर्वेद में और कौन सी औषधियाँ है उसपर विस्तार से बता रहे है।

मधुमेह से बचने के उपाय:-
आयुर्वेद में प्रमेह रोग उपचार में विभिन्न पहलूओ पर ध्यान देना पड़ता है , जिनमें शारीरिक व्यायाम, योग , पथ्य आहार एवं विहार , पंचकर्म एवम औषधि का प्रयोग महत्वपूर्ण हैं। निम्न औषधियो एवं आहार विहार का प्रयोग कर हम इसपर काबू पा सकते है –
क. औषधियों द्वारा उपचार –
• विजयसार – इस औषधि के त्वचा का रस तिक्त और कषाय है एवं कटु विपाक और शीत वीर्य है जो प्रमेह के उपचार में अति लाभदायक है.
• जामुन बीज चूर्ण :- जामुन के सूखे हुए बीजों का चूर्ण दिन में 2-3 बार पानी के साथ लेने से लाभ मिलता है.
• गुडमार पत्र चूर्ण – एक चम्मच गुडमार के सूखे पत्तों का चूर्ण गुनगुने पानी के साथ लेने से रोग के उपचार मी लाभ मिलता है.
• न्यग्रोध त्वक चूर्ण – बरगद के पेड़ की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से भी इस रोग मेी सुधार आता है.
• शिलाजीत – यह कफज रोगो एवं प्रमेह बहुत ही उत्तम बताया है | यह एक रसायन औषधि है जो मधुमेह के कारण उत्पन्न कमज़ोरी को नियंत्रित करने में बहुत सहायक है.
• मेथी दाना – एक चम्मच मेथी के दाने गिलास पानी में रात भर भिगोकर रखकर सुबह में उनका पानी पीना चाहिए.
• करेले का रस – 20 मिली करेले का जूस हर रोज़ सुबह लेने से रोगी को लाभ मिलता है.
• आमला – 20 मिली ताज़ा अमला का जूस या ३ से ५ ग्राम चूर्ण प्रतिदिन लेने से रोग में निश्चित लाभ मिलता है.
• हरिद्रा (हल्दी) (Curcuma longa): हल्दी का सेवन अमला के रस के साथ अत्यंत लाभकारी सिद्ध होता है. हल्दी को दूध के साथ भी सेवन कर सकते हैं।

आयुर्वेद की शास्त्रीय औषधियां:-
ऊपर बताये गए हर्ब्स के अलावा निम्न शास्त्रीय औषधियों के सेवन से भी मधुमेह नियंत्रण में रहता है–
• वसंतकुसुमाकर रस,
• शिलाजत्वादी वटी,
• प्रमेहगज केसरी रस,
• चन्द्रप्रभा वटी,
• हरिशंकर रस
• फल त्रिकादि क्वाथ आदि शास्त्रोक्त औशादियो का प्रयोग करके मधुमेह पर विजय पायी जा सकती है |

व्यायाम और योग:-
मधुमेह के सफल नियंत्रण के तीन मूलमंत्र है
1. सही आहार (DIET)
2. सही विहार (EXERCISE) यानी योग और व्यायाम
3. सही औषधि (MEDICINE)
ऊपर औषधियों का वर्णन कर चुके है। अब बात करते है योग और व्यायाम की।

व्यायाम से लाभ –
जब आप शारीरिक व्यायाम करते हैं, तो आपकी मांसपेशियों को वह ग्लूकोज मिल जाता है जिसकी उन्हें जरुरत होती है. और बदले में, आपके ब्लड शुगर का स्तर नीचे चला जाता है. व्यायाम के द्वारा डायबिटीज को नियंत्रण में रखना लम्बा और स्वस्थ जीवन जीने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। शारीरिक व्यायाम इंसुलिन संवेदनशीलता और ग्लूकोज मेटाबोलिज्म में वृद्धि करता है। मधुमेह एक तनावपूर्ण बीमारी है, कसरत करने से आपको मानसिक रूप से अच्छा महसूस करने में मदद मिलती है. व्यायाम आपके मनोदशा में सुधार कर सकता है। व्यायाम वजन कम करने और कम वजन बनाए रखने में भी सहायता करता है।

किस तरह के व्यायाम करने चाहिए –
सबसे ज़रूरी बात यह है कि कोई भी व्यायाम करने के पहले चिकित्सक से सलाह ज़रूर ले लें। व्यायाम करने से बहुत अधिक लाभ मिलते हैं, लेकिन इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि इससे आपके ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करना आसान हो जाता है. शारीरिक कसरत आपके ब्लड में शुगर को सामान्य कर सकता है. |
व्यायाम के रूप में निम्न क्रिया कलाप कर सकते है –
• जॉगिंग,
• सुबह तेज कदमों से चलना,
• तैरना,
• किसी भी खेल को 45 मिनटों तक खेलना,
• साइकिल चलाना,
• लंबी पैदल यात्रा आदि ।

इन सबके अलावा कुछ और औषधियां है जिनके नियमित सेवन से ब्लड शुगर नियंत्रित रहता है-

जामुन-
जामुन को आयुर्वेद में जम्बू, महाफला और फलेन्द्रा नाम से जाना जाता है। इसका बोटैनिकल नाम Syzygium cumini है। इसका रस कषाय और विपाक कटु होने से कफ का नाश करता है। निघण्टु रत्नाकर नामक ग्रंथ में इसे मधुमेह नाशक बताया गया है।
मधुमेह के उपचार में जामुन एक पारंपरिक औषधि के रूप में सदियों से प्रयोग की जा रही है। इसकी गुठली, छाल, रस और गूदा सभी मधुमेह में बेहद फायदेमंद हैं। जामुन की गुठली का बारीक चूर्ण बनाकर दिन में दो-तीन बार, तीन ग्राम की मात्रा में पानी के साथ सेवन करने से शूगर की मात्रा कम होती है।

करेला
इसे आयुर्वेद में करवेल्लक नाम से जाना जाता है। इसका बोटानिकल नाम Momordia charantia है। यह कटु तिक्त रस वाला तथा कटु विपाक वाला होने से कफ का नाश करता है। कैयदेव निघण्टु सहित अन्य ग्रंथों में इसे श्रेष्ठ मधुमेह नाशक बताया गया है। प्राचीन काल से करेले को मधुमेह की औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है। करेले के मधुमेहनाशक गुणों का परीक्षण नवीन शोधों से भी किया जा चुका है। यह फास्टिंग के अलावा पोस्ट प्रण्डियाल शुगर लेवल दोनो को कम करता है।

मेथी-
आयुर्वेद में मेथिका, पीतबीजा नाम से मशहूर मेथी एक उत्तम मधुमेहनाशक औषधि है जिसका मसालों के रूप में प्रत्येक रसोई में हजारो सालो से प्रयोग होता रहा है। इसका बोटानिकल नाम Trigonella foenum graecum है। रस में कटु और विपाक में भी कटु होने से कफ का शमन करता है।
मेथीदानों का चूर्ण बनाकर नित्य प्रात: खाली पेट 5 ग्राम चूर्ण पानी के साथ लेने से कुछ दिनों में रक्त शर्करा नियंत्रण में आने लगती है।

हल्दी-
कांचनी, निशा, गौरी, योषितप्रिया, वरवर्णिनी नाम से आयुर्वेद में वर्णित हल्दी , प्रकृति का एक वरदान है। Zingiberaceae फैमिली का यह पौधा है जिसका बोटानिकल नाम Curcuma longa है। इसमे करक्यूमिन नामक रसायन पाया जाता है जो की कई रोगों का नाश करता है। रस में तिक्त, कटु और विपाक में कटु होने से यह उत्तम कफनाशक माना जाता है। महर्षि वागभट ने इसे सर्वश्रेष्ठ मधुमेहनाशक कहा है।
हल्दी का उपयोग प्राचीन काल से ही भोजन में मसालो के रूप में और घरेलू उपचारों में किया जाता रहा है। मधुमेह के रोगियों को प्रतिदिन गरम दूध में हल्दी चूर्ण मिलाकर पीना चाहिए।

विजयसार-
आयुर्वेद में विजयसार का उल्लेख बीजक, असन और पीतशाल नाम से कई जगह किया गया है।इसको indian kino tree या malabar kino tree के नाम से भी जाना जाता है। इसका बोटानिकल नाम Pterocarpus marsupium है। इसका रस कषाय तिक्त और विपाक कटु होता है।
विजयसार की सूखी लकड़ी को पीस लें। एक बर्तन में पानी डालकर इस लकड़ी के पाउडर को मिक्स कर रात भर रहने दे। सुबह इसे छानकर खाली पेट पीएं। इसके अतिरिक्त विजयसार से बने ग्लास में रात भर पानी रखें और सुुबह खाली पेट पीएं। इससे शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है।

आँवला-
आयुर्वेद के ग्रंथो में इसे अमृता, अमृतफल, आमलकी, पंचरसा, अंग्रेजीमें ‘एँब्लिक माइरीबालन’ या इण्डियन गूजबेरी (Indian gooseberry) तथा लैटिन में ‘फ़िलैंथस एँबेलिका’ (Phyllanthus emblica) कहते हैं।
आचार्य वागभट ने मधुमेह में इसे सर्वश्रेष्ठ औषधि कहा है। आधुनिक शोधों में पता चला है की आँवले में क्रोमियम पाया जाता है और क्रोमियम इंसुलिन बनाने वाले सेल्स को ऐक्टिवेट करता है। इंसुलिन बनने से ब्लड शुगर नियंत्रित रहता है।

गुड़मार-
इसे मेषशृंगी भी कहा जाता है।इसका बोटानिकल नाम Gymnema sylvester है। भाव प्रकाश के अनुसार यह मधुमेह की एक श्रेष्ठ औषधि है। एनिमल स्टडीज में यह सिद्ध हुआ है की यह इन्सुलिन के स्राव को बढ़ाकर रक्त शर्करा को कम करता है। मुख्य रूप से गुड़मार की पत्तियों का उपयोग मधुमेह-नियंत्रण औषधियों के निर्माण में किया जाता है। इसके सेवन से रक्‍तगत शर्करा की मात्रा कम हो जाती है। साथ ही पेशाब में शर्करा का आना स्‍वत: बन्‍द हो जाता है।

पनीर का फूल-
इसे पनीर डोडा और इंडियन रेनेट के नाम से भी जाना जाता है। इसका बोटानिकल नाम withania coagulans है। भारत में पाया जाने वाला ये पौधा अपने औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है , और डाइबिटीज से लड़ने में महत्‍वपूर्ण होता है।
इसके 8 से 10 फूलो को रात में भिगोकर रख दे। फिर सुबह खाली पेट उस पानी को पी जाएं। इससे भी ब्लड शुगर कंट्रोल होता है।

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